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Romantic Place

Sunday 24 January 2010

Maa ka Payar

मेरा नाम प्रदीप है। ये बात उन दिनों की है जब मैं बी.कॉम लास्ट ईयर का छात्र था। उस वक्त मेरी उम्र २४ साल थी। पढने के लिए शहर में कॉलेज के ही हॉस्टल में रहता था। मैं छुट्टियों में अपने घर आता था। जो कि पंजाब का एक गांव था। मेरा गांव शहर से 1 घंटे की दूरी पर था। गांव में हमारा बहुत बड़ा घर है। वहां मेरी मां और पापा रहते हैं। हमारा खेती के अलावा बिल्डिंग कंसट्रक्सन का विजिनेस है। मेरी मां घरेलू ओरत है। हम बहुत अमीर घराने से हैं हमारे घर में नौकर-चाकर बहुत हैं। मैं दोपहर में अपने गांव में स्थित घर पहुंचा था। खाना हुआ और थोड़ी देर सोया, शाम को मां के साथ थोड़ी बातें की और गांव घूमने चला गया। रात करीब मैं 8 बजे घर आया। मा का मूड ठीक नहीं था। मैने मां को पूछा। “मां, पापा कहां है?” मां ने कुछ जवाब नहीं दिया। मेरी मां बहुत गुस्सेवाली हैं। वो जब गुस्सा में होती है तब वो गंदी गालियां भी देती है, लेकिन वो नौकरों के साथ ऐसा नहीं करती-गालियां नहीं देती। मां ने कहा “चल, तू खाना खा”। आज बेटा शहर से आया है फ़िर भी ये घर पर नहीं आये। तू खाले फिर हम फ़ार्म हाउस पर चलेंगे। वहां पर तेरे पापा का काम चल रहा है। मैने खाना खाया और हम निकले। पापा ने मेरी मां को एक स्कूटी खरीद कर दी है। हमारा फ़ार्म हाउस हमारे घर से 10 मिनेट की दूरी पर है। मां ने स्कूटी निकाली और मैं मां के पीछे बैठ गया। मेरी मां का नाम रीमा है वो 45 साल की बहुत ही सुंदर और सेक्सी औरत है। वो टिपीकल हाउस वाइफ़ है। सेहत से परफ़ेक्ट। मेरी मां का शरीर गठीला है,थोड़ी मोटी। उसके चुतड़ और सीना बहुत ही फूला हा है। मां ने मुझ से कहा आओ वहां चलें, मां ने पंजाबी ड्रेस पहना था। मैं मां के पीछे था। हम चल दिये। मैने मेरे हाथ स्कूटर के पीछे टायर पर पकड़े थे। मां बीच-बीच में कुछ बोल रही थी लेकिन कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, शायद वो बहुत गुस्से में थी। एक घंटे में हम फ़ार्म हाउस पर पहुंच गये। फ़ार्म हाउस के गेट पर वाचमैन था उसने मां को ठोका और कहा “साहब यहां नहीं है वो शहर में गये है” वो हमे गेट में आने नहीं दे रहा था। मां ने ठीक है बोला और स्कूटर स्टार्ट की। हम थोड़े ही आगे गये और मां ने स्कूटर रोक दी। उसे कुछ शक हुआ। उसने मुझे कहा “तु यहां रुक, मैं आती हूं?”। मा बंगले की तरफ चलने लगी और वाचमैन का ध्यान नहीं ये देख कर अंदर चली गयी, और बंगले की खिड़कियों से ताक-झांक करने लगी। मैने देखा मां क्यों नहीं आ रही है और मैं भी वहां चला गया। मैने देखा मां बहुत देर वहां खड़ी थी और खिड़की से अंदर देख रही थी। वो करीब १०-१५ मिनट यहां खड़ी थी। मैं थोड़ा आगे गया और मां आयी और कहा “साले तुझे वहां रुकने को बोला तो आगे क्यो आया?…चल बैठ हमे घर जाना है” मां को इतना गुस्से में नहीं देखा था। मैं बैठा, रास्ते में बारिश चालू हुई, मेरे हाथ पीछे टायर पर थे गांव में रास्ते में लाइट नहीं थी, तभी मां की गांड मेरे लंड को लगने लगी मैं थोड़ा पीछे आया लेकिन मां भी थोड़ा पीछे आयी। और कहा। “ऐ, ऐसा क्यों बैठा है ठीक से मुझे पकड़ कर बैठ”। मैने मेरे दोनो हाथ मां के कंधे पर रखे। लेकिन खराब रास्ते की वजह से ठीक से बैठ नहीं रहे थे। मां ने कहा। “अरे, पकड़ मेरी कमर को, और आराम से बैठ” ने मां की कमर पर पकड़ा, लेकिन धीरे धीरे मेरा हाथ मेरे मां के बूब्स पर लगने लगे, वो उसके बूब्स … “ क्या नरम-नरम मखमल की तरह लग रहे थे। और मेरा लंड भी ९० डिग्री तक गया… वो मेरी मां के गांड को चिपक ने लगा। मां भी थोड़ी पीछे आयी। ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड मां के गांड में घुस रहा है।

हमारा घर नजदीक आया, हम उतर गये। करीब रात ११.४५ को हम घर आये। मां ने कहा तू ऊपर जा, मैं आती हूं। मां ऊपर आयी वो अभी भी गुस्से में लग रही थी। मालुम नहीं क्यों वो बीच बीच में कुछ गालियां भी दे रही थी लेकिन वो सुनाई नहीं दे रहा था। मां के कहा “आ, मैं तेरा बिस्तर लगा दूं।” उसने उसकी चुन्नी निकाली और वो मेरे लिये बिस्तर लगाने लगी, मैं सामने खड़ा था वो मेरे सामने झुकी …और मैं वहीं ढेर हो गया उसके बूब्स इतने दिख रहे थे के मेरी आंखें बाहर आने लगी उसके वो बूब देख कर मैं पागल हुआ उसने काला ब्रा पहना था उसका सेंटर हुक भी आसानी से दिख रहा था, तभी मां ने अचानक देखा और बोला “तू यहां सो जा” लेकिन मेरा ध्यान नहीं था वो मेरे सामने झुकी और मेरा ध्यान उसके बूब्स पर था, ये बात समझ गयी… और वो ज़ोर से चिल्लाई “रंजीत, मैने क्या कहा सुनाई नहीं दिया क्या? तेरा ध्यान किधर है… साले मेरे बाल देख रहा है” ये सुन कर मैं डर गया लेकिन मैं समझ गया के मां को लड़कों की भाषा मालुम है। उसने बिस्तर लगाया और कहा ”मैं आती हूं, अभी” वो नीचे गयी मैने देखा उसने हमारे बंगले के वाचमैन को कुछ कहा और ऊपर मेरे रूम में आ गयी। हम दोनो अभी भी बारिश के वजह से गीले थे। मां मेरे रूम मैं आयी, दरवाजे की कड़ी लगाई और उसने अपनी पंजाबी ड्रेस की सलवार निकाल कर बेड पर रख दी, मैं मेरा शर्ट निकाल ही रहा था इतने में मां मेरे सामने खड़ी हो गयी। मां ने मेरी शर्ट की कोलर पकड़ी और मुझे घसीट कर मुझे बाथरूम में ले गयी। मेरे कमरे में एक ही प्राइवेट बाथरूम था। मां फ़िर बाहर गयी और मेरे कमरे की लाइट बंद करके मेरे सामने आ के खड़ी हो गयी। उसने मेरी तरफ देखा, कपड़ा लिया और मेरे बाथरूम के खिड़की के शीशे पर लगा दिया ताकि बाथरूम में लाइट थी और बाहर से कोई अंदर ना देखे इस लिये शायद। फ़िर से उसने मेरी तरफ देख… वो अभी भी गुस्से में लग रही थी। तुरंत ही उसने मेरे गालों पर एक जोर का तमाचा मरा, मैं मां के ही तरफ गाल पर हाथ रख कर देख रहा था लेकिन तुरंत ही उसने मेरे गालों को चूमा और अचानक उसने उसके होंठ मेरे होंठों पर लगा कर मुझे चूमना चालू किया, मैं थोड़ा हैरान था लेकिन मैने भी मां के वो बड़े-बड़े बूब्स ढके थे और मां के बारे में सेक्स का सोचने लगा था। चूमते–चूमते उसने फ़िर से मेरी तरफ देखा, वो रुक गयी और पूरी ताकत लगा के उसने अपना ही ड्रेस फ़ाड़ डाला। और मेरा भी शर्ट खोल दिया जब उसने ड्रेस फ़ाड़ा।

ऊऊ.. मैं सोच भी नहीं सकता था के मां के बूब्स इतने बड़े होंगे वो तो उसके ब्रा से भी बाहर आने की तैयारी में थे फ़िर वो मुझे चूमने–चाटने लगी। उसने मुझे कपड़े उतारने को कहा मैने अपने कपड़े उतारे और मैं अपनी मां के उपर चढ़ गया मैं भी उसके सीने को चाटने लगा और चूमने लगा उसके बाद फिर जोर-जोर से दबाने लगा मैने भी मां का ब्रा को फ़ाड़ डाल मैं भी एकदम पागलों की तरह मां के बूब्स दबाने लगा। मैं उन्हे दबाने लगा, मां की मुंह से आवाजें निकलने लगी। इतने में उसने मुझे धक्का दिया और एक कोने में छोटी बोतल पड़ी थी उसमे उसने साबुन का पानी बनाया, और शोवर चालु किया और कहा “मैं जैसा बोलती हूं वैसा कर” वो पूरी तरह जमीन पर जुखी और दोनो हाथों से अपनी गांड को फ़ैलाया और कहा ”वो पानी मेरे गांड में डाल” मैने वैसा किया, साबुन का पानी मां के गांड में डाला। मां उठी और मेरे लंड को पकड़ा और साबुन लगाया दीवार की तरफ मुंह कर के खड़ी हुई और कहा “साले, भड़वे चल तेरा लंड अब मेरी गांड में घुसा” जैसा के मैने कहा था मेरी मा कभी-कभी गालियां भी देती है। मैने मेरा लंड मां के गांड पर रखा और ज़ोर का झटका दिया। मां चिल्लाई ” आआअ म्मम्मूऊऊउ आआअ, साले भड़वे बता तो सही तो डाल रहा है” साबुन की वजह से मेरा लंड पहले ही आधे से ज्यादा घुस गया, और मैं भी मां को जोरो के झटके देने लगा। मां चिल्लाई।”साले, भड़वे ई…आ।” मैं भी थोड़ा रुक गया। मां बोली। “ दर्द होता है इस का मतलब ये नहीं के मजा नहीं अताआआअ…मार और जोर से मार बहुत मजा आता है…भड़वे बहुत्तत्तत सालों के बाद मैई आज चुदवा रही हूं। आअम्मी।आई…मार मार मार आ..” वो भी जोरो से कमर हिला के मुझे साथ दे रही थी और मेरे झटके एकदम तूफ़ानी हो रहे थे…मेरी हाइट 5.5 और मां की 5 हम खड़े-खड़े ही चोद रहे थे उसकी गांड मेरी तरफ, मैं उसकी गांड मार रहा था उसका मुंह उस तरफ और हाथ दीवार पर थे मेरा एक हाथ से उसकी बुर में उंगली डाल रहा था और एक तरफ उसके बाल दबा रहा था इतने मे उसने मेरी तरफ साइड में मुंह किया और एक हाथ से मेरे गाल पकड़े और मेरे होंठों पर उसके होंठ लगाये हम एक ”कामसूत्र” के पोज़ में खड़े थे…वो भी मेरे होंठों को चूम कर बोली “तूऊ… थोड़ी देर पहले मरे बोल देख रहा था ना…मादरचोद है रे तूऊ मैं अभी तुझे पुरा मादरचोद बनाऊगी।” तभी मैं मां को बोला “आज इतने गुस्से मैं क्यों हो…” मां बोली “साले सब मर्द एक जैसे ही होते जानता है…,हम जब फ़ार्महाउस पर गये तब मैने क्या देखा खिड़की से मैं एक तरफ झटके दे रहा था इसलिये मां बीच-बीच में आवाजें निकाल रही थी। मैने पूछा “ क्या देखा तूने” मां ने कहा “तेरा बाप……किसी और औरत को चोद रहा था हमेशा इंतज़ार करती थी। अब मुझे समझ में आया, वो बाहर चोदता है …फ़िर बोली… मैं रुक गया, तभी वो बोली “तू चोद मुझे भड़वे अपनी मां को चोद । आज से तेरी मां हमेशा के लिये तेरी हो गयी तू ही मेरा सनम अच्छा लगता है” तभी मैने मां के गांड में और ज़ोर का झटका दिया। वो भी उसकी गांड ज़ोरो से आगे पीछे हिला रही थी। आखिर में मैने ज़ोर का झटका दिया और मेरे लंड का पानी मां की गांड में डाल दिया। मां चिल्लाई कितना पानी है तेरे में खतम ही नहीं हो रहा है। सालाआआ मादर चोद…। सही चोदा तूने मुझे। थोड़ी देर हम एक-दूसरे को ऐसे ही चिपकाये रहे और हम पलंग चले पर गये और सो गये…थोड़ी देर के बाद मेरी नींद खुली मां मेरे पास ही सोई थी हम दोनो अभी भी नंगे ही थे मैं मां के बुर में उंगली डालने लगा तभी मां की नींद खुली और वो बोली… “क्या फ़िर से चोदेगा?” मैने बोला मुझे तेरी बुर चाहिये तेरी गांड तो मिल गयी लेकिन तेरी बुर चाहिये और मां की बुर में उंगली डालने लगा उसे सहलाने लगा, मुझे कंट्रोल नहीं हुआ। मैने मां के दोनो पैर ऊपर किये और मेरा लंड मां के बुर पर रखा और ज़ोर से धक्का मारने लगा। मैने झटके देना चालु किया तभी मां भी कमर हिला के मुझे साथ देने लगी मेरे झटके बढ़ने लगे, मां चिल्लाने लगी फ़ाड़ डाल मेरी बुर, तेरे बाप्पप्प ने तो कभी चोदा नहीं लेकिन तू चोद और चोद, मजे ले मेरी बुर के। मां भी ज़ोरो से कमर हिलाने लगी और मैं मां के बोल और ज़ोरो से दबा रहा था …मां बोली “ चोद रे, मादरचोद और चोद, दबा मेरे बोल और दबा और चाट और काट मेरे बोल को और उन्हे बड़े कर दे ताकि मेरा ब्लाउज़ से वो बाहर आये दबा और दबा चल डाल पानी अब…भर डाल अपनी मां की बुर पानी से…तेरे गरम्मम पानी से।।” तभी मैने ज़ोर का झटका दिया और मेरा लंड का पानी मां के बुर में डाल दिया मां “चिल्लाई गरम्मम्म पानी है। ये है असली जवानी आज से तू मेरा बेटा नहीं मेरा मेरा यार है। आज से तू ही मुझे ठोकेगा। क्या पानी है सालों बाद मिल्ला है।” आज एक बात अच्छी हो गयी, तेरे पापा उस रंडी के साथ सो गये लेकिन उनकी ही वजह से मुझे मेरा यार मिल गया। आज से तू ही मुझे ठोकेगा। थोड़े ही दिन में मैं शहर चला गया और मेरे कोलेज में चला गया, छुट्टियों में मां मेरा और मैं मां का इंतज़ार करने लगा। बाद में हम हमेशा एक दूसरे को चोदने लगे।

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